तंबाकू और गुटखा से मुँह का कैंसर कैसे होता है?
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तंबाकू और गुटखा से मुँह का कैंसर कैसे होता है?

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मुँह और गले का कैंसर: तंबाकू-गुटखा से कैसे जुड़ा है और क्या हैं बचाव के उपाय?

भारत में मुँह और गले का कैंसर तेजी से बढ़ता हुआ एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में हर साल लाखों लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं, और उनमें से बड़ी संख्या तंबाकू और गुटखा सेवन करने वालों की होती है। मुँह और गले के कैंसर के मामलों में भारत एशिया के शीर्ष देशों में शामिल है। विशेषज्ञों के अनुसार, मुँह और गले का कैंसर उन बीमारियों में से एक है जिन्हें समय रहते सही जीवनशैली अपनाकर रोका जा सकता है।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि तंबाकू और गुटखा कैसे मुँह और गले के कैंसर का कारण बनते हैं, इसके शुरुआती लक्षण क्या होते हैं, और कौन-कौन से उपाय अपनाकर आप इस बीमारी से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।

मुँह और गले का कैंसर क्या है?

मुँह और गले का कैंसर एक प्रकार का Head and Neck Cancer है जो मुँह, जीभ, होंठ, गाल, मसूड़े, तालू, गले या स्वरयंत्र (voice box) में विकसित हो सकता है। जब इन हिस्सों की कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, तो कैंसर बनता है।

यह कैंसर शुरू में छोटे घाव या सफेद/लाल धब्बों के रूप में दिखाई दे सकता है, लेकिन अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो यह तेजी से फैल सकता है और बोलने, निगलने, यहाँ तक कि सांस लेने में भी कठिनाई पैदा कर सकता है।

तंबाकू और गुटखा से कैसे होता है कैंसर?

तंबाकू, गुटखा, पान मसाला, बीड़ी और सिगरेट ये सभी उत्पाद कैंसरजनक तत्वों से भरपूर होते हैं।

1. रासायनिक तत्वों का प्रभाव

तंबाकू में लगभग 4,000 से अधिक हानिकारक रसायन पाए जाते हैं, जिनमें से कम से कम 60 ऐसे हैं जो सीधे कैंसर का कारण बनते हैं, जैसे कि —
1. निकोटीन
2.टार
3. बेंजो पाइरीन
4. नाइट्रोसामाइन्स
ये रसायन धीरे-धीरे मुँह और गले की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाते हैं। लगातार इनका सेवन करने से कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और कैंसर का रूप ले लेती हैं।

2. गुटखा और पान मसाले का असर

गुटखा और पान मसाले में मौजूद सुपारी, चूना, तंबाकू और सुगंधित रसायन लगातार मुँह के अंदर के ऊतकों को जलाते हैं। यह जलन कई बार स्थायी रूप ले लेती है और “ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस” नामक बीमारी में बदल जाती है, जो मुँह खोलने में कठिनाई पैदा करती है और कैंसर की शुरुआती अवस्था हो सकती है।

3. धूम्रपान और गले का कैंसर

सिगरेट, बीड़ी या हुक्का पीने से धुआँ सीधे गले और फेफड़ों में जाता है, जहाँ यह कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाता है। लंबे समय तक धूम्रपान करने वालों में laryngeal cancer यानी स्वरयंत्र का कैंसर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

मुँह और गले के कैंसर के शुरुआती लक्षण

अक्सर यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और शुरुआत में लक्षण मामूली लग सकते हैं। लेकिन इन संकेतों को नज़रअंदाज़ करना खतरनाक साबित हो सकता है।
कुछ प्रमुख शुरुआती लक्षण हैं:

  • मुँह में या जीभ पर घाव या छाला जो 2 हफ्ते में भी ठीक न हो
  • गले में लगातार खराश या दर्द रहना
  • निगलने में परेशानी या गले में कुछ फँसा महसूस होना
  • बोलने में बदलाव या आवाज़ भारी हो जाना
  • होंठ या मुँह के अंदर सफेद या लाल धब्बे
  • जबड़े या गाल में सूजन
  • बिना वजह वजन घट जाना

यदि इनमें से कोई भी लक्षण लंबे समय तक बना रहे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

मुँह और गले के कैंसर की जांच

कैंसर की पुष्टि के लिए डॉक्टर कई जांचें कर सकते हैं, जैसे:

  • ओरल एग्जामिनेशन (Oral Examination) - डॉक्टर मुँह, जीभ और गले की जांच करते हैं।
  • बायोप्सी - संदिग्ध हिस्से से ऊतक का छोटा नमूना लेकर माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है।
  • इमेजिंग टेस्ट - जैसे CT Scan, MRI या PET Scan ताकि कैंसर के फैलाव का पता चल सके।
  • एंडोस्कोपी - गले और स्वरयंत्र के अंदर कैमरे से जांच की जाती है।

जल्दी पहचान सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि कैंसर जितनी जल्दी पकड़ा जाए, उतना ही सफल इलाज संभव है।

मुँह और गले के कैंसर का उपचार

इस बीमारी का इलाज उसकी स्टेज, स्थान और रोगी की सेहत पर निर्भर करता है। सामान्यतः निम्न उपचार विधियाँ अपनाई जाती हैं

  • सर्जरी (Surgery)

    कैंसरग्रस्त हिस्से को ऑपरेशन के ज़रिए निकाल दिया जाता है। यदि कैंसर फैल चुका है, तो आसपास के लिम्फ नोड्स भी हटाए जा सकते हैं।
  • रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy):

    उच्च ऊर्जा वाली किरणों से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। यह शुरुआती अवस्था में बहुत प्रभावी होती है।
  • कीमोथेरेपी (Chemotherapy):

    इसमें दवाइयाँ दी जाती हैं जो कैंसर कोशिकाओं को मारती हैं। अक्सर इसे रेडिएशन के साथ मिलाकर दिया जाता है।
  • इम्यूनोथेरेपी और टार्गेटेड थेरेपी:

    नई और उन्नत तकनीकें हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने के लिए सक्रिय करती हैं।

जयपुर जैसे शहरों में अब आधुनिक सुविधाओं से युक्त कैंसर अस्पतालों में यह सभी उपचार उपलब्ध हैं। यदि आप सुरक्षित और विशेषज्ञ इलाज चाहते हैं, तो Cancer treatment in Jaipur के लिए अनुभवी ऑन्कोलॉजिस्ट से परामर्श ज़रूर लें।

मुँह और गले के कैंसर से बचाव के उपाय

यह कैंसर पूरी तरह से रोका जा सकता है, यदि हम अपने जीवन में कुछ सरल बदलाव अपनाएँ:

  • तंबाकू, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट और शराब से दूरी रखें।

    ये आदतें छोड़ना ही सबसे बड़ा बचाव है।
  • स्वस्थ आहार लें।

    फल, हरी सब्जियाँ, एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ शरीर को मजबूत बनाते हैं।
  • मुँह की सफाई रखें।

    नियमित ब्रश करें और डेंटल चेकअप कराते रहें।
  • कैंसर की शुरुआती जांच कराएँ।

    विशेषकर अगर आप पहले तंबाकू सेवन करते थे या परिवार में किसी को कैंसर हुआ है।
  • तनाव कम करें और योग या ध्यान करें।

    मानसिक संतुलन शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

निष्कर्ष

मुँह और गले का कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी जड़ है तंबाकू और गुटखा का सेवन। यह आदतें न केवल आपके जीवन की गुणवत्ता को खराब करती हैं, बल्कि जानलेवा भी हो सकती हैं।
अगर आप या आपका कोई परिचित मुँह में लम्बे समय से घाव, दर्द या गले की समस्या से परेशान है, तो इसे हल्के में न लें। जल्दी जांच और सही इलाज से कैंसर को हराया जा सकता है।

चिरायु कैंसर हॉस्पिटल, जयपुर में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम अत्याधुनिक तकनीक के साथ मुँह और गले के कैंसर का संपूर्ण इलाज प्रदान करती है। समय पर जांच, सही निदान और सकारात्मक जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी को मात दी जा सकती है।

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